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सोमवार, फ़रवरी 13, 2006

आधुनिक उर्दू साहित्य में विशेष स्थान रखने वाले शायर फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ का जन्म १३ फ़रवरी १९११ को सियालकोट में हुआ था । फ़ैज़ नें अपने कविता संग्रह नक़्शे-फ़रियादी की भूमिका में लिखा था '" शे'र लिखना जुर्म न सही लेकिन बेवजह शे'र लिखते रहना ऐसी अक़्लमंदी भी नही है ।"
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मता-ए-लौहो-क़लम छिन गई तो क्या ग़म है
कि ख़ूने-दिल में डुबो ली हैं उंगलियां मैने
ज़बां पे मुहर लगी है तो क्या, कि रख दी है
हर एक हल्क़-ए-ज़ंजीर में ज़बां मैने
मता-ए-लौहो-क़लम = क़लम और तख्ती की पूंजी, ख़ूने-दिल =ह्र्दय रक्त,हल्क़-ए-ज़ंजीर = ज़ंजीर की हर एक कड़ी