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रविवार, जुलाई 28, 2013

ज़फ़र

वही है जाने - जहाँ,इस जहाँ के पर्दे में
कि कर रहा है सितम आस्मां के पर्दे में
'ज़फ़र' ज़माने की नैरंगियों ने क्या क्या रंग
दिखाये हमको, बहारों-ख़िज़ां के परदे में 

Wahi hai jane jahan,is jahan ke parde mein
Ki kar raha hai sitam aasman ke parde mein
'Zafar' zamane kii nairangiyon ne kya kya rang
dikhaye hamko , baharon-khizan ke parde mein


बुधवार, जुलाई 17, 2013

ज़ौक

हो उम्रे ख़िज़्र* भी तो कहेंगे ब-वक़्ते-मर्ग+
हम क्या रहे यहाँ अभी आये अभी गये ।
*{ ख़िज़्र जैसी आयु , ख़िज़्र अमर हैं }
+{ मरते वक़्त }

Ho umr-e KHizr bhi to kahenge b- waqt-e-marg,
Hum kya rahe yahan abhi aaye abhi gaye |

ज़ौक
Zauk

शनिवार, जुलाई 13, 2013

है मौज बहरे-इश्क़  वह तूफां  कि  अल हफीज़ 
बेचारा  मुश्ते ख़ाक था        इंसान बह गया  
शेख़  इब्राहिम ज़ौक