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बुधवार, जुलाई 17, 2013

ज़ौक

हो उम्रे ख़िज़्र* भी तो कहेंगे ब-वक़्ते-मर्ग+
हम क्या रहे यहाँ अभी आये अभी गये ।
*{ ख़िज़्र जैसी आयु , ख़िज़्र अमर हैं }
+{ मरते वक़्त }

Ho umr-e KHizr bhi to kahenge b- waqt-e-marg,
Hum kya rahe yahan abhi aaye abhi gaye |

ज़ौक
Zauk

शनिवार, जुलाई 13, 2013

है मौज बहरे-इश्क़  वह तूफां  कि  अल हफीज़ 
बेचारा  मुश्ते ख़ाक था        इंसान बह गया  
शेख़  इब्राहिम ज़ौक