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शनिवार, जुलाई 13, 2013

है मौज बहरे-इश्क़  वह तूफां  कि  अल हफीज़ 
बेचारा  मुश्ते ख़ाक था        इंसान बह गया  
शेख़  इब्राहिम ज़ौक 

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