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गुरुवार, अक्तूबर 20, 2005

शायर इक़बाल का नज़रिया -

तेरे सीने में दम है दिल नहीं है।
तेरा दम गर्मी-ए-महफ़िल नहीं है॥
गुज़र जा अक़्ल से आगे कि यह नूर।
चिराग़े-राह है मंज़िल नहीं है ॥

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