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शुक्रवार, जुलाई 06, 2007

इस्माइल मेरठी - के बारे में श्री प्रकाश पंडित 'शायरी के नये दौर' में लिखते है- सन् १८४४ ई। में जन्में । १६ वर्ष की आयु में शिक्षा विभाग में नियुक्त हुए और अपनी योग्यता के बल पर बहुत शीध्र फ़ारसी के प्रधान शिक्षक पद पर आसीन हो गये। आपनें नज़्में रुबाइयाँ, गज़लें कहीं और बच्चों के लिये सरल भाषा में उपदेशपूर्ण नज़्म कहीं।

वही 'कारवाँ' वह 'क़ाफ़िला' तुम्हें याद हो कि याद हो
वही 'मंज़िल'--वही ' मरहला' तुम्हें याद हो कि याद हो
मुतफ़ाइलिन, मुतफ़ाइलिन, मुतफ़ाइलिन, मुतफ़ाइलिन
इसे वज़्न कहते हैं शेर का, तुम्हे याद हो कि ना याद हो
यही 'शुक्र' है जो 'सिपास' है वह 'मलूल' है जो 'उदास' है
जिसे 'शिकवा' कहते हो है ' गिला' तुम्हे याद हो कि याद हो
वही 'नुक्स' है वही खोट है, वही ' ज़र्ब ' है, वही 'चोट' है
वही 'सूद' है वही'फ़ायदा' तुम्हे याद हो कि याद हो
वही है' नदी' वही 'नहर' है वही 'मौज' है वही 'लहर' है
यह 'हुबाब' है वही' बुलबुला' तुम्हे याद हो कि याद हो
जिसे ' भेद' कहते हो 'राज़' है जिसे 'बाजा' कहते हो 'साज़' है
जिसे 'तान' कहते हो है'नवा' तुम्हे याद हो कि याद हो
वही' ख़्वार' है जो 'ज़लील' है , वही दोस्त है जो 'ख़लील' है
'बद'--'नेक' है 'बुरा'-'भला' तुम्हे याद हो कि याद हो

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