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शनिवार, मई 03, 2008

मिर्ज़ा ग़ालिब

चलता हूँ थोड़ी दूर हर इक तेज़रौ के साथ।
पहचानता नहीं हूँ अभी राहबर को मैं।

( "जिस आदमी में कोई सिफ़ात देखता हूँ उसी पर विश्वास कर लेता हूँ, जिस किसी को अग्रगामी देख लेता हूँ उसी के पीछे चल पड़ता हूँ, इसका कारण यह है कि मैं अभी सच्चे हितैषी और मार्गप्रदर्शक को पहचाननें की क्षमता नहीं रखता। यह शेर उन कौ़मों पर कितना चुस्त होता है जिनका कोई नेता नहीं और यूँ ही कभी किसी के बहकावे में और कभी किसी के इशारे पर नाचती रहती हैं ": अयोध्या प्रसाद गोयलीय,”शेर-ओ-शायरी’ से)

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