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शुक्रवार, मई 09, 2008

वोह निकहत से सिवा पिन्हाँ, वोह गुलसे भी सिवा उरियां
यह हम हैं जो कभी परदा कभी जलवा समझते हैं ॥
*************असग़र गोंडवी************

+उरियाँ यहाँ प्रकट के अर्थ में प्रयोगित मालूम पड़ता है+

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